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पोपलर की खेती,बम्फर होगी कमाई।

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इस पेड़ की खेती में बंपर मुनाफा, फर्नीचर से कागज की लुगदी बनाने तक में काम आती है लकड़ी पोपलर की लकड़ी की बाजार में भारी मांग है। इसकी लकड़ी से पलाई, फर्नीचर, ईंधन तथा कागज की लुगदी बनाने के काम आती है। हालांकि इसकी खेती के दौरान किसानों को संयम बरतने की जरूरत है। ऐसा नहीं है कि इसके पौधे को लगाते ही आपका मुनाफा कई गुना बढ़ जाएगा। पोपलर Farming:  भारत में पिछले कुछ सालों में किसानों के बीच जागरूकता में तेजी से इजाफा हुआ है। अब वे पारंपरिक खेती से इतर नए जमाने की फसलों की भी किसानी करने लगे हैं। किसानों के बीच मुनाफेदार पौधों की खेती का भी चलन तेजी से बढ़ा है। इसी तरह का एक पौधा है सफेदा, जिसकी खेती कर किसान आराम से लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं। 1.पोपलर का पेड़ किन_ किन काम आता हैं? पोपलर(poplar) की लकड़ी पलायी से बना फर्नीचर, ईंधन तथा कागज की लुगदी बनाने के काम आती है।यह पौधा तकरीबन 5 से 8 साल में एक पेड़ के तौर पर विकसित होता है। हालांकि, इस पौधे की खेती करने वाले किसान बताते हैं , कि दीमक की वजह से इस फसल को बेहद नुकसान होता है। इसके अलावा पौधों में गांठ बनने क

घर के बगीचे में नवम्बर माह में लगाए इन सब्जियों को।

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आइए इस आर्टिकल में जानते हैं कि नवम्बर में आप गार्डन में कौन-कौन सा पौधा आसानी से उगा सकते हैं। नवंबर माह में लगाए इन सब्जियों को घर के बगीचे में। नवम्बर के महीने में देश के लगभग सभी हिस्सों में सर्दी पड़ने लगती है और इस महीने में कई लोग गार्डन में नए-नए फल-फूल और सब्जी के पौधे भी लगते हैं। कहा जाता है कि ऐसे कई प्लांट्स हैं जिन्हें नवम्बर में लगाते हैं तो जनवरी से फ़रवरी के बीच में खाने योग्य हो जाते हैं। Vegetable Plants To Grow In November At Home: नवम्बर के महीने में देश के लगभग सभी हिस्सों में सर्दी पड़ने लगती है और इस महीने में कई लोग गार्डन में नए-नए फल-फूल और सब्जी के पौधे भी लगते हैं। कहा जाता है कि ऐसे कई प्लांट्स हैं जिन्हें नवम्बर में लगाते हैं तो जनवरी से फ़रवरी के बीच में खाने योग्य हो जाते हैं।अगर आप गार्डनिंग का शौक रखते हैं तो फिर आपको भी मालूम होना चाहिए कि नवम्बर के महीने में कैन-कौन से प्लांट को गार्डन में लगा सकते हैं ताकि फल-सब्जी मार्केट से खरीदने की ज़रूरत न पड़े। इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं कि नवम्बर के महीने में आप किस प्लांट्स को आसानी से गार्डन

गेंहू की सबसे अच्छी_अच्छी किस्म दुगनी पैदावार।

गेहूं की टॉप किस्में!   रबी सीजन को देखते हुए आज हम किसानों के लिए गेहूं की टॉप किस्मों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी बुवाई से किसान बंपर उत्पादन पा सकते हैं!   रबी सीजन की शुरुआत हो चुकी है, ऐसे में किसान अपने खेतों में बुवाई शुरू करने लगे हैं।देखा जाएं तो भारत में गेहूं की खेती बड़ें पैमाने पर की जाती है और गेहूं रबी सीजन की प्रमुख फसलों में से एक है।इसी कड़ी में आज हम किसानों को गेहूं की उन उन्नत किस्मों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके उत्पादन से किसान बंपर मुनाफा कमा सकता हैं। १.DBW (डीबीडब्ल्यू )252 गेहूं की किस्म_ डीबीडब्ल्यू 252 गेहूं की उन्नत किस्मों में से एक है. इस किस्म को करण श्रिया किस्म के नाम से भी जाना जाता है। बता दें कि यह खास किस्म  भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल द्वारा विकसित की गई है।इस गेहूं की किस्म की बुवाई अक्टूबर के आखिरी सप्ताह से नवंबर के शुरूआती दिनों में की जाती है। डीबीडब्ल्यू 252 गेहूं की औसत उपज 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती हैं।   २.गेहूं की एच आई(HI)-8663 किस्म। गेहूं की यह खास किस्म अपने बंपर उत्पा

GM masterd कैसे अलग है और सरसो से।।,

Technologe modified सरसों कोDMH-11 के नाम से भी जाना जाता है। Indian (भारतीय )किस्म वरुणा की kroshing (क्रॉसिंग )पूर्वी यूरोप की किस्म अर्ली Heera –2 से कराकर तैयार किया गया है. दावा किया जा रहा है कि इसकी उपज सामान्य सरसों से लगभग 30 प्रतिशत ज्यादा है। हालांकि, अब इसे मिली मंजूरी को लेकर विरोध भी शुरू हो गया है।। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के बायोटेक नियामक जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रेजल कमेटी ने जेनेटिकली मॉडिफाइड सरसों की व्यवसायिक खेती को मंजूरी दे चुकी है। कमेटी के इस फैसले के बाद से ही कई किसान समूहों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है. कहा जा रहा है कि जीएम सरसों के सेवन से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ेगा. इसके अलावा शहद उत्पादन का व्यवसाय पूरी तरह से ठप हो जाएगा। मधुमक्खी पालन से जुड़े किसान बड़ी संख्या में बेरोजगार होंगे। दावा ये भी किया जा रहा है ,कि शहद के निर्यात में बहुत बड़ी गिरावट आ सकती है। दरअसल, चिकित्सकीय गुणों की वजह जीएम मुक्त सरसों के शहद की मांग विदेशों में ज्यादा है। १. जीएम तकनीक क्या हैं? इस तकनीक के जरिए जीव या पौधों के जीन को दूसरे पौधों में डाल कर फसल की एक नई प्

tomato ki kisham

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3 Clever Ways To Grow Tomatoes Through Winter The taste of a homegrown tomato is largely due to the amount of sun they get. Intense sun increases photosynthesis in tomatoes which allows the plants to make carbohydrates that turn into sugars, acids and other compounds in the fruit. Essentially, the more photosynthesis, the more complex the flavor of a tomato. And by extension, the more sun you give a tomato, the more flavourful the end result will be. This makes tomato growing a purely summer pursuit. So what happens when the summer season is over and you still have an intense craving for homegrown tomatoes? Can you really grow tomatoes in winter? Can Your Grow Tomatoes In Winter? Although it may seem impossible, there are several ways you can grow tomatoes in winter. The first is to choose tomato varieties that are able to grow in cooler weather. These varieties have more cold tolerance and a shorter season to ensure you still have fruits to harvest at the end of the day. The second, i

Ganne ki new kisham 13235 ,13452,10239,co0238

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गन्ने की सुपर तीन नई किस्मों की हुई खोज, बदल सकती है किसानों की तकदीर! शाहजहांपुर के गन्ना शोध संस्थान के 10 साल के लंबे रिसर्च के बाद विकसित हुई इन किस्मों को लेकर वैज्ञानिकों का मानना है कि इस रिसर्च से गन्ना किसानों और शुगर मिलों को बड़ीरोगमुक्त तीनों ही गन्ने की किस्में चीनी की रिकॉर्ड तोड़ रिकवरी देगीहर तरह की मिट्टी में गन्ने की किस्में उगाई जा सकेगी। सुबह की चाय हो, केक, पेस्ट्री या मिठाई. दुनिया भर में लगभग हर खाद्य पदार्थों में लोग चीनी (शक्कर) का इस्तेमाल जरूर करते हैं। जो चीनी लोगों के खाने में मिठास घोलती है वह बनती है ।गन्ने से जिसके उत्पादन में भारत दुनिया भर में दूसरे स्थान पर है। अब भारत की गन्ना उत्पादन की कामयाबी में और पंख लग गए हैं। दरअसल, उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के गन्ना शोध संस्थान के वैज्ञानिकों ने गन्ने की तीन नई किस्में विकसित की हैं। 10 साल के लंबे रिसर्च के बाद विकसित हुई इन किस्मों को लेकर वैज्ञानिकों का मानना है कि इस रिसर्च से गन्ना किसानों और शुगर मिलों को बड़ी राहत मिलेगी। इस बारे में शाहजहांपुर के गन्ना शोध संस्थान

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गन्ने की ती नई किस्मों की हुई खोज, बदल सकती है किसानों की तकदीर शाहजहांपुर के गन्ना शोध संस्थान के 10 साल के लंबे रिसर्च के बाद विकसित हुई इन किस्मों को लेकर वैज्ञानिकों का मानना है कि इस रिसर्च से गन्ना किसानों और शुगर मिलों को बड़ीरोगमुक्त तीनों ही गन्ने की किस्में चीनी की रिकॉर्ड तोड़ रिकवरी देगीहर तरह की मिट्टी में गन्ने की किस्में उगाई जा सकेगी सुबह की चाय हो, केक, पेस्ट्री या मिठाई. दुनिया भर में लगभग हर खाद्य पदार्थों में लोग चीनी (शक्कर) का इस्तेमाल जरूर करते हैं. जो चीनी लोगों के खाने में मिठास घोलती है वह बनती है गन्ने से. जिसके उत्पादन में भारत दुनिया भर में दूसरे स्थान पर है. अब भारत की गन्ना उत्पादन की कामयाबी में और पंख लग गए हैं. दरअसल, उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के गन्ना शोध संस्थान के वैज्ञानिकों ने गन्ने की तीन नई किस्में विकसित की हैं. 10 साल के लंबे रिसर्च के बाद विकसित हुई इन किस्मों को लेकर वैज्ञानिकों का मानना है कि इस रिसर्च से गन्ना किसानों और शुगर मिलों को बड़ी राहत मिलेगी. इस बारे में शाहजहांपुर के गन्ना शोध संस्थान के डायरेक्टर डॉक्टर ज्योत्सने